सुप्रीम कोर्ट से चण्डीगढ़ के मेयर बने आप के कुलदीप कुमार
सत्य खबर ,चंडीगढ़।
चंडीगढ़ मेयर चुनाव में हुई गड़बड़ी के मामले में सुप्रीम कोर्ट से आम आदमी पार्टी को बड़ी जीत हासिल हुई है। शीर्ष अदालत ने मंगलवार को चुनावों के नतीजों को खारिज करते हुए आप उम्मीदवार कुलदीप कुमार को विजेता घोषित किया है। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि आप उम्मीदवार को चंडीगढ़ नगर निगम के मेयर पद के लिए वैध रूप से निर्वाचित उम्मीदवार घोषित किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि जिन 8 वोटों को अवैध माना गया था, उन्हें आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप कुमार के पक्ष में वैध रूप से पारित कर दिया गया। और कहा गया कि उनके लिए आठ वोटों की गिनती करने पर उनके पास 20 वोट हो जाएंगे। चुनाव परिणाम को किए रद्द बता दें कि यह 8 वोट रिटर्निंग ऑफिसर की तरफ से अमान्य घोषित किए गए थे, जिनको मान्य करार देने के निर्देश दिए हैं।
सुप्रीम कोर्ट का कहना है, हम निर्देश देते हैं कि पीठासीन अधिकारी द्वारा चुनाव परिणाम को रद्द किया जाए। कोर्ट ने अपनी सुनवाई के दौरान कहा कि रिटर्निंग ऑफिसर अनिल मसीह ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर काम किया है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव मामले पर सुनवाई की।
बता दें कि मेयर चुनाव में रिटर्निंग ऑफिसर के 8 वोट अमान्य के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिस पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने कुलदीप कुमार को चंडीगढ़ मेयर चुनाव का विजेता घोषित किया। चंडीगढ़ मेयर चुनाव पर SC के फैसले पर वकील गुरमिंदर सिंह ने कहा, “SC ने कहा है कि ये निशान जाहिर तौर पर पीठासीन अधिकारी द्वारा लगाए गए थे, जिसके आधार पर वोट अवैध घोषित किए गए थे। कानून के मुताबिक, पीठासीन अधिकारी ने उल्लंघन किया है। महत्वपूर्ण नियमों और धारा 340 के तहत मामला दर्ज किया गया है। कोर्ट में गलत बयान देने के लिए अदालत ‘अदालत की अवमानना’ की कार्यवाही शुरू कर सकती है, जिसके लिए उन्हें तीन महीने का समय दिया गया है।” चंडीगढ़ मेयर मामला: सुप्रीम कोर्ट ने तलब किए बैलेट पेपर, अनिल मसीह पर कार्रवाई के आदेश रिटर्निंग ऑफिसर को नोटिस भेजा वहीं इस पूरे मामले में चंडीगढ़ मेयर चुनाव रिटर्निंग ऑफिसर को सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस दिया है। कोर्ट ने अधिकारी अनिल मसीह के खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्यवाही चलाने का निर्देश दिया है। साथ कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है और उन्हें तीन सप्ताह के भीतर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है।